कवच सिस्टम क्या होता है – Kavach system to prevent accidents on rail tracks
कवच एक ऐसा सिस्टम होता है जिसे हर किसी रेल्वे स्टेशन पर इंस्टाॅल किया जाता है इसे लगभग हर एक स्टेशन पर कम से कम एक से दो किलोमीटर की दुरी पर इंस्टाॅल किया जाता है|
कवच सिस्टम को रेल्वे सिग्नल सिस्टम तथा ट्रेन मे इंस्टाॅल किया जाता है|
ओडिसा के बालासोर ट्रेन अॅक्सीडेंट मे जो लोगो की जाने गई लोक गंभीर रूप से घायल हुए यह सब हादसा इस कवच सिस्टम से टाला जा सकता था|
कुछ महिने पहिले इस कवच सिस्टम को रेल्वे दुर्घटनाओ तथा हादसो को रोकने के लिए लाया जाएंगा ऐसा रेल्वे मंत्रालयने कहा था|
इस कवच सिस्टम को train collision avoid system ऐसा कहा जाता है ओडिसा के बालासोर ट्रेन अॅक्सीडेंट के बाद सभी लोगो ने सोशल मिडिया पर यह कहा की ट्रेन मे अगर कवच सिस्टम होता तो इतने २७५ मासुम लोगो की जाने नही जाती इतनी बुरी तरह से लोग घायल नही होते|
आज के आर्टिकल मे हम यह कवच सिस्टम क्या होता है, और इसके फायदे क्या होते है यह जाननेवाले है|
कवच सिस्टम क्या होता है – kavach system in Hindi
कवच सिस्टम भारतीय रेल्वे का एक आॅटोमॅटिक ट्रेन सेफ्टी तथा प्रोटेक्शन सिस्टम है इसे २०१२ मे बनाया गया था |
२०१२ मे इसका फस्ट ट्रायल किया गया था इसके बाद भी सिर्फ ६५ लोको इंजनो मे यह कवच सिस्टम इंस्टाॅल किया गया था|
इस सिस्टम की मदत से ट्रेन हादसो को रोकने के लिए भारतीय रेल्वे एक रणनीती बना रहा है|
यह एक रेडिओ फ्रिक्वेन्सी पहचानने वाला एक सिस्टम है जो लोकोमोटिव्ह मे इलेक्ट्रॉनिक डिव्हाईसेस मे स्थापित किया जाता है|

कवच सिस्टम कैसे काम करता है और इसके फायदे क्या होते है?
- कवच सिस्टम यह रेल्वे के पटरीयो पर दोडनेवाली ट्रेनो के स्पीड को कंट्रोल करने का तथा रेल्वे के सिग्नल सिस्टम को नियंत्रित करने का काम भी करता है|
- इसमे सिस्टम के अंदर एक कंपोनंट दुसरे कंपोनंट के साथ ultra high radio frequency दवारा कनेक्टेड रहकर आपस मे कम्युनिकेशन कर सकता है|
- आगे रेड सिग्नल है तो ड्राइव्हर को एक दो किलोमीटर इतनी दुरी पर होते ही इंजिन मे लगाये हुए डिस्प्ले सिस्टम मे दिख जाएगा |
- और इसके बाद भी जब लोकोपाईलट किसी भी वजह से ट्रेन की स्पीड बढा के रेल्वे सिग्नल के उपर जंप करता है
- तो तब उसी वक्त यह कवच सिस्टम तुरंत सक्रीय हो जाता है और यह सबसे पहले ट्रेन के ब्रेक्स को कंट्रोल करता है | इसके साथ साथ यह लोकोपाईलट को आगे की दुर्घटना तथा हादसे को रोकने के लिए अलर्ट देकर सुचित भी किया करता है |
- और फिर भी ड्राइव्हर ने ब्रेक नही लगाया तो फिर भी आॅटोमॅटिक ब्रेक लगकर यह ट्रेन एक निश्चित सुरक्षित अंतर पर आकर रूक जाती है जिससे दोनो ट्रेने एकदुसरे से टकराती नही है |
- जब कभी भी एक ही पटरी पर दो ट्रेने आती है तो दोनो ट्रेने एकदुसरे से टकराकर कोई बडा हादसा ना हो इसलिए यह कवच सिस्टम तुरंत पिछे की ट्रेन को अलर्ट भेजकर एक निश्चित दुरीपर रूकजाने के लिये उन्हे संकेत देता है या आॅटोमॅटिक ब्रेक लगाकर पिछे की ट्रेन को एक सुरक्षित अंतर पर रोक देता है |
- यह ट्रेन के ओव्हर स्पीड को नियंत्रित करने का काम करता है इससे एक पटरीयो पर आ रही दो ट्रेनो का स्पीड अधिक होनेपर भी वह एकदुसरे से टकराती नही है यह एक मुख्य लाभ इस कवच सिस्टम का हमे देखने को मिलता है |
- इसके साथ घने कोहरे मे भी जब ड्राइव्हर को सिग्नल रेड है या ग्रीन यह पता नहीं चलता है तब यह कवच सिस्टम आॅटोमॅटिक ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोकती है और होनेवाले हादसे को रोक लेता है |
- इस कवच सिस्टम के जरिए एस ओ एस दवारा एमरजन्सी मे आॅटोमॅटिक कंट्रोल रूम को हेल्प के लिए हम मेसेज भी कर सकते है |
इसके साथ एमरजन्सी मे स्टेशन मास्टर को भी अलर्ट भेजा जा सकता है |
जब ट्रेन फाटक पर पहुंचती है तो अपने आप सिटी बजने की आवाज आती है |
भारत मे कवच सिस्टम के लिए कुल कितना खर्चा होता है?
कवच सिस्टम इंस्टाॅल करने के लिए विदेश की तुलना मे हमारे भारत देश मे कम खर्चा लगता है भारत मे इसे लगाने के लिए ३० लाख रुपये प्रति किलोमीटर तथा ५० लाख प्रती किलोमीटर इतना खर्चा आ सकता है
यह कवच बाकी देशो मे लगाने के लिए प्रति किलोमीटर दो करोड तक का खर्चा लगता है मतलब भारत मे यह कवच अमेरिका युरोप जैसे देशो मे इस्तेमाल हो रही टेक्नॉलॉजी की तुलना मे काफी सस्ता है

