FII और DII – शेअर बाजार मे एफ आय-आय और डी आय-आय क्या होता है – FII and DII

शेअर बाजार मे एफ आय-आय और डी आय-आय क्या होता है

शेअर बाजार मे तीन तरह के निवेश किए जाते है एक रिटेल इन्व्हेस्टर जिसे आम लोगो दवारा किया गया निवेश कहा जाता है दुसरा एफ आय आय और तिसरा डीआय आय होता है

एफ आय आय का फुलफाॅम फाॅरेन इंस्टिटयुशनल इन्व्हेस्टमेंट होता है और डी आय-आय का फुलफाॅम डोमेस्टिक इंस्टिटयुशनल इन्व्हेस्टमेंट होता है

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FII और DII - शेअर बाजार मे एफ आय-आय और डी आय-आय क्या होता है - FII and DII 1

आज के आर्टिकल मे हम एफ आय आय और डी आय-आय क्या होता है यह जाननेवाले है

क्योकी जब भी हम स्टाॅक सलाहकारो को देखते हे तो वह हमे इन दोनो टर्म्स का जिक्र करते हुए हमेशा दिखाई देते है इसलिए हमारा इन दोनो टर्म्स के बारे मे जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है

एफ आय आय क्या होता है?FII meaning in Hindi

एफ आय आय यह भारतीय शेअर बाजार मे पैसे लगानेवाली विदेशी संस्था होती है ऐसी संस्था के नाम की लिस्ट मे सिंगापुर,ओपेनहेमर,पेंशन फंड ग्लोबल युरोपियन ग्रोथ फंड ऐसे कुछ मशहुर नाम हमे दिखाई देते है

एफ आय आय का फुलफाॅम foreign institutional Investment होता है

एक देश से किसी दुसरे देश के बाजार मे जब बहुत ही बडी पुंजी के साथ पैसे इन्व्हेस्ट किये जाते है उसे विदेशी संस्थात्मक निवेश कहा जाता है

विदेशी संस्थात्मक निवेशको को सबसे बडा निवेशक कहा जाता है क्योकी यह बाजार मे बहुत भारी मात्रा मे इन्व्हेस्टमेंट किया करते है

भारत एक दिनबदीन डेव्हलप हो रही कंट्री है इसलिए विदेशी संस्था यहा ज्यादातर निवेश करके ज्यादा से ज्यादा प्राॅफिट कमाने का प्रयास करती है

डी आय-आय क्या होता है?DII meaning in Hindi

डी आय-आय का फुलफाॅम domestic institutional Investment होता है जिसे घरेलू संस्थात्मक निवेश भी कहा जाता है

यह संस्था निवेशको दवारा इन्व्हेस्ट किया पैसा किसी सर्विस के माध्यम से पहले अपने पास जमा किया करती है

और फिर उस निवेश तथा जमा किये हुए पैसो मे से कुछ पैसे निवेशको को हरसाल परसेंटेज के तौरपर रिटर्न के स्वरूप मे देती है

यह संस्था जमा किए हुए पैसो को स्टाॅक मार्केट मे इन्व्हेस्ट करती है

कमीशन बेसपर रिटेलर इन्व्हेस्टर से पैसा लेकर बाजार मे लगानेवाली इन्व्हेस्ट करनेवाली यह एक भारतीय संस्था होती है

एफ आय आय और डी आय-आय इन दोनो का भारतीय बाजार पर काफी गहरा असर पडता है बाजार मे जो भी उतार चढाव आते रहते है इसके लिए यह दोनो जिम्मेदार होते है

क्योकी जब भी बल्क मे खरेदारी की जाती है तो उसका सप्लाय और डिमांड पर भी काफी हद तक प्रभाव पडता है

एफ आय आय बहुत बडी पुंजी के साथ बाजार मे निवेश करती है पर जब एफ आय आय बाजार से अपने निवेश किये हुए पैसे निकालती है तो हमे बाजार मे काफी बडी गिरावट देखने को मिलती है

घरेलु संस्थात्मक निवेश मे एल आयसी म्युच्युअल फंड विमा पॉलिसी इत्यादी कंपनीया शामिल होती है और विदेशी संस्थात्मक निवेशको मे अॅसेट मॅनेजमेंट कंपनी,सेविंग फंड पेंशन निधी इंस्टीटयुट इत्यादी शामिल होती है

विदेशी संस्था के निवेशको को भारत मे निवेश करने के पहले सेबी के साथ रेजिस्ट्रेशन करना पडता है क्योकी यह भारतीय कंपनिया नही होती है

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