नया संसद भवन का उद्घाटन २८ मई को ही क्यो किया जा रहा है – new parliament building inauguration
कल २८ मई को भारत के पंतप्रधान नरेंद्र मोदी दवारा नये संसद भवन का उद्घाटन किया जानेवाला है
बहुत लोगो के मन एक ही सवाल उठ रहा है की नए संसद भवन का उद्घाटन २८ मई को ही क्यो किया जा रहा है इसदिन ऐसा क्या खास है जिस वजह से इस दिन को उद्घाटन के लिए चुना गया है
आज के आर्टिकल मे हम इसी विषय पर जानकारी प्राप्त करनेवाले है





- २८ मई २०२३ स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की १४० वी जयंती मनाई जानेवाली है और २८ मई को ही भारत देश के पहले पंतप्रधान पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का अंत्यसंस्कार भी किया गया था
- २८ मई को सावरकर जयंती के दिन संसद भवन का उद्घाटन करने के फैसले पर बहुत सारी आलोचना भी कि जा रही है
- सावरकर से जुडे कई पुराने विवादो की वजह से यह आलोचना विरोध किया जा रहा है
- जानेमाने लेखक धीरेंदर झा तथा नीलांजन मुखोपाध्याय ने ऐसा कहा है की सावरकर के जन्मदिवस तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू के अंत्यसंस्कार के दिन पर संसद भवन का उद्घाटन करना लोकतंत्र की हत्या तथा उपहास करने जैसा है
- नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख को लेके आलोचना विरोध क्यो किया जा रहा है?इसे लेके कौनसे आरोप प्रत्यारोप किये जा रहे है?
- तुषार गांधी का ऐसा कहना है की नए संसद भवन की उद्घाटन की तारीख जानबुझकर २८ मई रखी गई है ताकी यह जताया जाए तथा लोगो तक संदेश पोहचाया जाए की की नया संसद भवन हिंदु राष्ट्र का प्रतीक है
- २०२४ का चुनाव इस आधार पर लढा जाएगा की भारत देश एक हिंदु लोगो का राष्ट्र है या धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है
- इसके साथ आलोचना करते हुए तुषार गांधी ने यह भी कहा की इस नये संसद भवन का नाम संसद भवन की जगह सावरकर भवन रखना चाहिए और इसके सेंट्रल हाॅल का नाम माफी सदन रखा जाना चाहिए
- ऐसा भी कहा जा रहा है की सावरकर को लेके विपक्षी पक्ष मे चल रहे मतभेद का फायदा उठाने के लिए बीजेपी ने यह तारीख चुनी है १९ विपक्षी पक्षोने इस नये संसद भवन के उद्घाटन पर बहिष्कार डालने का फैसला किया है
- पंतप्रधान नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नाहीये और वह भारत के संविधान का उल्लंघन कर रहे है ऐसा भी कहा जा रहा है
- पंतप्रधान नरेंद्र मोदी की जगह राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मु से नए संसद भवन का उद्घाटन करवाया जाए ऐसी मांग विपक्षी पक्षो की और से की जा रही है पंतप्रधान नरेंद्र मोदी से संसद भवन का उद्घाटन करवाना लोकतंत्र के खिलाफ है ऐसा कहा जा रहा है