सेंगोल का महत्व तथा इतिहास क्या है – sengol history and significance in Hindi

सेंगोल का महत्व तथा इतिहास क्या है – sengol history and significance in Hindi

सेंगोल का अर्थ नीतीपरायणता होता है यह एक अनंत संभावनाए तथा सशक्त समृद्ध देश की निर्मिती का संकल्प है

जल्द ही भारत की संप्रभुता का साक्षी कहलाया जानेवाला सेंगोल अब नये संसद भवन मे स्थापित किया जानेवाला है इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दवारा पार्लिमेंट हाऊस मे स्थापित किया जानेवाला है

आज के आर्टिकल मे हम यह सेंगोल क्या है इसका महत्व तथा इतिहास क्या है यह जानने वाले है

सेंगोल क्या है? | What is Sengol | सेंगोल का महत्व क्या है

सेंगोल यह एक अधिकार का प्रतिक माना जाता है

सेंगोल का महत्व तथा इतिहास क्या है - sengol history and significance  in Hindi
सेंगोल का महत्व तथा इतिहास क्या है – sengol history and significance in Hindi
  • सेंगोल यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत से जुडा हुआ है दक्षिण भारत मे एक चोल साम्राज्य था जिसमे एक विशेष समारोह का आयोजन किया जाता था
  • चोल साम्राज्य मे जब भी एक राजा की और से दुसरे राजा को सत्ता हस्तांतरित की जाती थी मतलब जब किसी राजा का राज्याभिषेक किया जाता था इस राज्याभिषेक के दौरान एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल किया जाता था जिसका नाम है सेंगोल
  • सेंगोल तामिळनाडू का राजदंड माना जाता है क्योकी चोल राजवंश का मुख्य संबंध तामिळनाडू राज्य से था इसलिए इसे तामिळनाडू से जोडा जाता है
  • सेंगोल का आकार भाला तथा ध्वजदंड के आकार जैसा होता है
  • जब एक राजा दुसरे राजा को या अपने बेटे को अपनी सत्ता हस्तांतरित करता है तब सत्ता हस्तांतरण के तौर पर उस नए राजा को अधिकार के प्रतीक के रूप मे सेंगोल देता है
  • चोल राजवंश के दौरान का सेंगोल शक्ती,वैधता और संप्रभुता का एक मुर्त रूप बन गया था
  • चोल राजवंश के दौरान जब एक राजा दुसरे राजा को सेंगोल देता था इसका मतलब वो अपनी शक्ती संप्रभुता वैधता उसे सौप रहा है तथा हस्तांतरित कर रहा है
  • चोल राजवंश के दौरान साहित्य,संस्कृती,कला,वास्तुकला के संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाता था इसलिए सेंगोल को सारी कला ओ के संगम के रूप मे भी देखा जाता है
  • इसके साथ साथ सेंगोल एक प्रतिष्ठा का प्रतीक भी माना जाता है
  • आधुनिक समय मे सेंगोल को सांस्कृतिक तौरपर विशेष महत्व दिया जाता है आम जनता के बीच सेंगोल को बहुत ज्यादा सम्मान दिया जाता है सेंगोल आम जनता के बीच विरासत और संस्कृति का प्रतिक बन गया है इसलिए तामिळनाडू तथा दक्षिण भारत मे कोई विशेष कार्यक्रम समारोह का आयोजन किया जाता है तो उसमे सेंगोल को एक महत्वपूर्ण घटक के रूप मे इस्तेमाल किया जाता है
  • वर्तमान समय मे संसद भवन मे जो समारोह आयोजित किया जा रहा है वहा जो सेंगोल की स्थापणा की जा रही है वह स्थापणा दक्षिण भारत के लिए दी गई एक श्रद्धांजली के तौरपर देख सकते है

भारत की आजादी मे सेंगोल की प्रमुख भुमिका – sengol history and significance in Hindi

  1. भारत देश आझाद हो रहा था तब भारत देश के अंतिम व्हाईसरॉय लाॅर्ड माऊंटबॅटन ने भारत के सबसे बडे नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू से एक प्रश्न किया की ब्रिटीश शासन दवारा भारत को सत्ता हस्तांतरित की जाएगी तब उस विशेष समारोह दौरान क्या कोई एऐसा आयोजन किया जाएगा
  2. तब उस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू के पास इस सवाल का कोई भी जवाब नही था तब उस वक्त इस बारे मे उपाय खोजने के लिए पंडित नेहरू भारत देश के तत्कालीन तथा अंतिम गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी इनसे इस बारे मे बातचीत की
  3. सी राजगोपालाचारी तामिळनाडू के रहने वाले होने के कारण सी राजगोपालाचारी इन्होने तामिळनाडू की चोल राजवंश की एक परंपरा के बारे मे पंडित जवाहरलाल नेहरू को बताया
  4. उन्होने पंडित जवाहरलाल नेहरू जी से कहा की तामिळनाडू के चोल राजवंश मे जब किसी सत्ता को हस्तांतरित किया जाता था तब राजा अपने उत्तराधिकारी को भेटवस्तू के तौरपर सत्ता अधिकार के प्रतीक के तौरपर सेंगोल दिया करते थे
  5. सी राजगोपालचारी की यह सुझाई हुई कल्पणा पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को काभी अच्छी लगी इसके बाद इसी कल्पणा का पालन करणे का विचार किया गया है
  6. इसका बाद सेंगोल के निर्माण की सारी जिम्मेदारीया सी राजगोपालाचारी जी को सौपी गई इसके बाद राजगोपालाचारी तामिळनाडू गे और वहा के सबसे बडे मठ मठ के प्रिस्ट से संपर्क किया उस प्रिस्ट ने इस सेंगोल के निर्माण की जिम्मेदारी चेन्नई शहर के दो कलाकारो को सौपी
  7. चेन्नई के दो कलाकारो दवारा सेंगोल की निर्मिती की जाने के बाद सेंगोल को दिल्ली मे लाया गया सबसे पहले यह सेंगोल तत्कालीन गवर्नर माऊंट बॅटन के पास पहुंचा
  8. माऊंट बॅटन ने इसे स्वीकार करने के कुछ समय बाद माऊंट बॅटन से यह सेंगोल ले लिया गया था क्योकी उस समय माऊंटबॅटन भारत के ब्रिटीश सत्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और सत्ता का हस्तांतरण ब्रिटीश सरकार की और से भारत के पास होने के कारण यह सेंगोल माऊंटबॅटन से ले लिया गया था और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी जो भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उन्हे यह सेंगोल सोपा गया था
  9. सेंगोल की लंबाई लगभग पाच से छह फीट इतनी है और इसके उपर के हिस्से मे नंदी की संरचना है दक्षिण भारत मे नंदी की संरचना को न्याय का प्रतीक माना जाता है
  10. इसे भारतीय संसद मे यह दिखाने के लिए स्थापित किया जा रहा है की भारतीय संसद भी इसकी तरह न्याय के प्रतीक के रूप मे कार्य करेगी

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